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Sunday, February 13, 2011

मगर ऐसा हो ना सका.........!


मैने तो सोचा था के हमे 
अपनी मोहब्बत का मकाम मिल जाए
जवां दिलों की धड़कनो को 
लुत्फ़ ओ क़रार मिल जाए
तुम्हे हमारा और मुझे 
तुम्हारा साथ मिल जाए

मैने तो सोचा था, चाहा था
मगर ऐसा हो ना सका

अब तो ये हाल है के
तुम मेरे साथ नही हो.. फिर भी 
हर वक़्त- हर पल मेरे साथ-साथ 
रहती हो
कहीं भी चला जाऊं इस ज़माने में 
तुम मेरे साथ-साथ चलती हो
और रात की तन्हाइयों में 
मेरी अश्कों में तुम ही ढलती हो

कौन कहता है की हम बिछड़े है
ये कह के मैं अपने दिल को तसल्ली देता हूँ

दिल--मासूम कितने ही सवाल करता है
मगर मेरे पास उनका कोई जवाब नही
जी में आता है की कुछ कहूँ तुझसे .. 
फिर ये अहसास की तू मेरे पास नही

तुम नही हो, ज़िंदगी से 
से कोई शिक़वा भी नही है
मगर ये लगता है.. 
तू है कहीं तो है

दिल ने चाहा था के तेरा साथ मिले 
मैने भी सोचा था,चाहा था के... यूँ हो. 

मगर ऐसा हो ना सका.........!  

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