जाने ये सब - कुछ कैसे हो गया
एक दोस्त था उसका भी साथ छूट गया,
मेरे हाथ से आईना आज टूट गया..
जाहिल बनारसी
मेरी सलामती की दुआएँ ना करो ऐ दोस्त!
मेरी तबीयत अब नही संभलने वाली .
मेरी किस्मत में गरम हवाएँ औ पतझर हैं,
कहाँ हैं वो सियाह घटायें बरसने वाली.
भले ही लाख. पैदा कर ले खिज्र ये मिट्टी,
फितरत आदमी मगर नही बदलने वाली.
क्यूँ ख़ामोश है ये बस्ती क्यूँ सियापा है,
क्या गुज़र गयी वो पगली गली कुंचो में फिरने वाली?