Wednesday, December 1, 2010
Saturday, November 27, 2010
Friday, November 26, 2010
Saturday, November 20, 2010
Tuesday, November 16, 2010
Wednesday, November 10, 2010
Thursday, October 28, 2010
मगर ऐसा हो ना सका
मगर ऐसा हो ना सका
मैने तो ऐसा सोचा था की हमें
अपनी मोहब्बत का मुक़ाम मिल जाए
जवां दिलों की धड़कनों को
लुत्फ़ ओ करार मिल जाए
तुम्हे हमारा और मुझे
तुम्हारा साथ मिल जाए
मैने तो ऐसा सोचा था चाहा था मगर
ऐसा हो ना सका.
अब तो ये हाल है के
तुम मेरे साथ नही हो फिर भी
हर वक़्त हर पल मेरे साथ साथ रहती हो
कहीं भी चला जाऊं इस ज़माने में
तुम मेरे साथ साथ चलती हो
और रात की तनहाईयो में
मेरी अश्कों में तुम ही ढलती हो.
कौन कहता है की हम बिछड़े हैं?
ये कह हर खुद को तसल्ली देता हूँ
दिल ए मासूम कितने ही सवाल करता है
मेरे पास मगर उनका कोई जवाब नही
जी में आता है के कुछ कहूँ तुझसे
फिर ये अहसास के तू मेरे पास नही.
तुम नही हो ज़िंदगी से कोई शिकवा भी नही है
मगर ये लगता है तू है कहीं तो है
दिल ने चाहा था की तेरा साथ मिले
मैने भी सोचा था कि ऐसा हो..
मगर ऐसा हो ना सका......!
Wednesday, October 20, 2010
क्यूँ ख़ामोश है ये बस्ती क्यूँ सियापा है..
जाने ये सब - कुछ कैसे हो गया
एक दोस्त था उसका भी साथ छूट गया,
मेरे हाथ से आईना आज टूट गया..
जाहिल बनारसी
मेरी सलामती की दुआएँ ना करो ऐ दोस्त!
मेरी तबीयत अब नही संभलने वाली .
मेरी किस्मत में गरम हवाएँ औ पतझर हैं,
कहाँ हैं वो सियाह घटायें बरसने वाली.
भले ही लाख. पैदा कर ले खिज्र ये मिट्टी,
फितरत आदमी मगर नही बदलने वाली.
क्यूँ ख़ामोश है ये बस्ती क्यूँ सियापा है,
क्या गुज़र गयी वो पगली गली कुंचो में फिरने वाली?
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