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Friday, February 18, 2011


जब मैं अपने पाँवों पर 
खड़ा होने की कोशिश  
कर रहा था, 
तुम्हारी उंगलियाँ पकड़कर  
चलना सीख रहा था. 
तुमने छुड़ा ली अपनी 
उंगलियाँ मुझसे, 
 
चलना तो मैं सीख गया हूँ मगर 
चलते चलते अब भी 
मैं गिर पड़ता हूँ. 

Tuesday, February 15, 2011

घड़ी भर को ठहर जा...


घड़ी भर को ठहर जा .. 

अब के जब चंद लम्हों में  
तेरे सीने से लग जाऊँगा, 
मेरे महबूब दुनिया की हर शै, 
सिर्फ़ तेरे लिए छोड़ जाऊँगा. 
आज के बाद फिर कभी - 
ना मिल सकूँगा, मैं उन्हे- 
जिन्होने मुझसे बेपनाह 
मोहब्बत की है, 
जिन्होंने मेरी हर बात को 
अपनी पलकों पे सजाए रखा 
मेरी खुशियों के लिए अपने 
अश्कों को छुपाए रखा, 
इतनी ज़ल्दी में मैं तेरे पीछे आया 
के उनको आख़िरी सलाम कर भी ना सका, 
जिन्होने मेरी खातिर क्या क्या ना किया 
मैं उनका एहतराम कर भी ना सका, 
घड़ी भर को ठहर जा मेरे महबूब ! 
के एक नज़र उनको मैं देख तो लूँ 
अपने अंजाने सफ़र के लिए, उनकी यादों को 
अपने सीने में ज़रा समेट तो लूँ, 
तू ! मेरी महबूब है मगर 
मुझे उनसे भी तो मोहब्बत है, 
मैं जनता हूँ के तेरे दामन में 
वस्ल की राहत है, मगर 
जो छूट रहा है वो 
राहत वस्ल से कमतर भी नहीं, 
तेरे हुस्न की रानाईयों से 
वाक़िफ़ हूँ मगर 
जो छोड़े जा रहा हूँ वो 
किसी ज़न्नत से कम भी तो नही, 
घड़ी भर को ठहर जा मेरे महबूब ! 

Monday, February 14, 2011

Scriptwriting in the UK: Joss Whedon's Top 10 Writing Tips

Scriptwriting in the UK: Joss Whedon's Top 10 Writing Tips: "At the Screenwriters’ Festival launch last week, I picked up 4talent Magazine from C4 reception. It’s an impressive and polished publicatio..."

Sunday, February 13, 2011

....एक बार......


....एक बार...... 
 
जिस कलम से- 
तुम्हारे लिए बेहिसाब 
नज्मे लिखी,नग्मे लिखे, 
 
तुम्हारे साथ ने ही तो मेरी 
क़लम की स्याही को 
गीली बनाए रखा. 
 
आज के जब तुम नही हो 
मेरे साथ, 
पता नही कहाँ? ये मालूम होता 
मुझे काश! 
 
अब मेरे क़लम की स्याही भी 
सूख चुकी है, 
अब काग़ज़ भी कोरा रह जाता है 
हर बार, 
 
काश ! के फिर से लिख सकता .. 
"तुम्हारा नाम" 
.......................एक बार...........  

मगर ऐसा हो ना सका.........!


मैने तो सोचा था के हमे 
अपनी मोहब्बत का मकाम मिल जाए
जवां दिलों की धड़कनो को 
लुत्फ़ ओ क़रार मिल जाए
तुम्हे हमारा और मुझे 
तुम्हारा साथ मिल जाए

मैने तो सोचा था, चाहा था
मगर ऐसा हो ना सका

अब तो ये हाल है के
तुम मेरे साथ नही हो.. फिर भी 
हर वक़्त- हर पल मेरे साथ-साथ 
रहती हो
कहीं भी चला जाऊं इस ज़माने में 
तुम मेरे साथ-साथ चलती हो
और रात की तन्हाइयों में 
मेरी अश्कों में तुम ही ढलती हो

कौन कहता है की हम बिछड़े है
ये कह के मैं अपने दिल को तसल्ली देता हूँ

दिल--मासूम कितने ही सवाल करता है
मगर मेरे पास उनका कोई जवाब नही
जी में आता है की कुछ कहूँ तुझसे .. 
फिर ये अहसास की तू मेरे पास नही

तुम नही हो, ज़िंदगी से 
से कोई शिक़वा भी नही है
मगर ये लगता है.. 
तू है कहीं तो है

दिल ने चाहा था के तेरा साथ मिले 
मैने भी सोचा था,चाहा था के... यूँ हो. 

मगर ऐसा हो ना सका.........!